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भारत विकास परिषद् समाज के विभिन्न व्यवसायों व कार्यों में लगे श्रेष्ठतम लोगों का एक राष्ट्रीय, अराजनैतिक, निःस्वार्थ, समाजसेवी एवं सांस्कृतिक संगठन है। इस संस्था की स्थापना का उद्देश्य भारतीय समाज का सर्वागींण विकास करना है। इस विकास में सामाजिक, सांस्कृतिक, नैतिक, राष्ट्रीय एवं आध्यात्मिक सभी प्रकार का विकास समाहित है। इस हेतु परिषद् सम्पन्न वर्ग को समाज के कार्य के लिए प्रेरित कर साधन व संस्कार द्धारा अभावग्रस्त लोगों के उत्थान के कार्य में कार्यरत है।

परिषद् की सम्पूर्ण गतिविधियां पाॅंच सूत्रों के आधार पर चलती है, ये है- सम्पर्क, सहयोग, संस्कार, सेवा एवं समर्पण।

भारत विकास परिषद् राजस्थान मध्य प्रान्त केन्द्र के निर्देशानुसार गत 17 वर्षो से अजमेर, भीलवाडा एवं राजसमन्द जिले में 46 शाखाओं और 2245 सदस्य परिषद् के मुख्य लक्ष्य मानव प्रयासों के सभी क्षेत्रों में भारत के विकास एवं संवर्द्धन में प्रयासरत है।

परिषद् के संविधान के मुख्य बिन्दु 58 से 61 के अनुसार भारत विकास परिषद् राजस्थान मध्य प्रान्त केन्द्र से अनुमति लेकर 25 अप्रैल 2015 को भारत विकास परिषद राजस्थान सेन्ट्रल प्रान्त चैरेटिबल ट्रस्ट का गठन किया। जिसको विधिवत् रूप से उप पंजीयन कार्यालय भीलवाडा में दिनांक 25.05.2015 को पुस्तक संख्या 4 जिल्द संख्या 7 में पृष्ठ संख्या 59 क्रम संख्या 201503026400161 पर पंजीबद्ध किया गया।

”ट्रस्ट“ अपने गठन से विभिन्न सांस्कृतिक एवं सेवा कार्यालयों में सभी शाखाओं के सहयोग से परिषद् के मुख्य उद्देश्यों प्रबुद्ध व सुसंस्कृत व्यक्तियो को एकत्र कर समाज के प्रतिनिधि के रूप में प्रस्तुत करना। समाज के प्रति उत्तरदायित्व का बोध करना। समाज के वंचित वर्ग के प्रति कर्तव्य व एकात्म भाव जागरण। भारतीय संस्कृति के नैतिक मूल्यों के अनुरूप सभ्यता का विकास करना।